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मनेंद्रगढ़ में 28 वर्ष से लगातार मनाई जा रही है बहरूपिया प्रतियोगिता

अमित श्रीवास्तव

कोरिया मनेन्द्रगढ़:  मनेंद्रगढ़ में प्रगति मंच द्वारा वर्ष के अंतिम दिन बहरूपिया प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में 50 से अधिक कलाकारों ने अलग-अलग रूप रखकर शहर के प्रमुख चौक चौराहों में अपना प्रदर्शन किया। कलाकारों का प्रदर्शन देखने के लिए अधिक लोग शहर के चौक चौराहों में जमा रहे। दोपहर 1:00 बजे से शुरू हुई इस प्रतियोगिता में कलाकारों ने पूरे शहर के चौक चौराहे घूम कर लोगों का भरपूर मनोरंजन किया।
प्रगति मंच मनेंद्रगढ़ द्वारा स्वस्थ समाज निर्माण के लिए बीते 28 वर्षों से साल के अंतिम दिन बहरूपिया प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में कई कलाकारों ने अलग-अलग वेश भूषा बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन के आधार पर निर्णायक के द्वारा अंक दिए गये। जिसके बाद विजेता और उप विजेता प्रतिभागियों को सम्मानित किया गया।
सम्मान के रूप में इन कलाकारों को मनेन्द्रगढ़ व आसपास के व्यापारियों द्वारा दी जाने वाली सामग्री दी गई जो वे अपनी दुकान से देते हैं ।इस आयोजन की खास बात यह रहती है कि आयोजन के लिए ना कोई स्टेज होता है ना कोई नियत जगह बल्कि कलाकारों को शहर के प्रमुख चौक चौराहों में घूम घूम कर अपनी कला का प्रदर्शन करना पड़ता है। जिसके बाद प्रदर्शन के आधार पर उन्हें सम्मानित किया जाता है। आयोजन को देखने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों लोग यहां जमा हुए ।इस दौरान व्यवस्था बनाने के लिए पुलिस प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए थे।
प्रतियोगिता के विजेता –

  •   एकल प्रथम-मनीष,टिक टाक पागल
  •   एकल द्वितीय-हरिराम यादव,देवदूत
  •   समूह प्रथम-नरसिंह अवतार
  •   समूह द्वितीय-अविनाश यादव चंद्रयान टू

मनेन्द्रगढ़ शहर में होने वाले इस आयोजन को देखने दूरदराज से लोग काफी संख्या में पहुंचते हैं। यही वजह है कि 31 दिसम्बर को शहर के सभी चौक चौराहों में लोगों की भारी भीड़ देखते ही बनती है। आयोजन के दौरान शहर के श्री राम मंदिर मैदान ,गांधी चौक, पुराना नगरपालिका तिराहा, विवेकानंद चौक, गुरुनानक चौक, सेंट्रल बैंक तिराहा, जैन मंदिर चौक, भगत सिंह तिराहा समेत स्टेशन रोड व न्यायालय के नजदीक बनाए गए स्टालों में कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन कर लोगों को रोमांचित किया। इस दौरान सड़कों पर भारी भीड़ देखकर ऐसा लग रहा था मानो यह बहरूपिया प्रतियोगिता ना होकर एक ऐसा महोत्सव है जिसने शहर को पूरे देश में पहचान दी है।

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