जेल से लेकर बाहर अस्पतालों तक रसूखदार कैदियों की होती है मौज, अस्पताल में होते हैं नाम मात्र को भर्ती

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  • दारु मुर्गा कर उडाते है मौज
  • अस्पताल में सेटिंग करके बढ़वाते रहते हैं मौज मस्ती के दिन
  • घर मे भोग रहे है सुख सुविधा
  • यहां जेल में रहकर किसी बदमाश को कोई फर्क नहीं पड़ता

सूरजपुर: शातिर रसुकदार आरोपित अपराधी जेल में हो या फिर बाहर, हर जगह सेटिंग कर लेता है। उसके लिए जेल बाहर कोई अलग नहीं होता। उसे हर तरह की सुख सुविधाएं मिलती हैं और बाहर तो मिलती ही हैं। जेल में डॉक्टर से सेटिंग करता है और बाहर अस्पताल में भर्ती होकर मौज मजे करता है। रात होते ही घर पहुचकर सुख सुविधा लेना।

अपराधी रसूखदार हो तो उसको जेल से लेकर पेशी तक मिलता है वीआईपी ट्रीटमेंट

इनके लिए सब सुविधाएं

जेल में बंद अपराधी जब जेल से बाहर आते हैं तो उनकी रौनक और रौब साफ दिखाई देता है। साफ-सुथरे कपड़े और बदली हुई चाल-ढाल। यहा तक कि उनके हाथ में हथकड़ी भी नही होती है। वे एक बास की तरह आते हैं और अपने जानकारों से मिलते हैं, उनको अपना मैसेज देते हैं। मोबाईल फोन पर बातें कर लेनदेन सहित बीते सूरजपुर नगर पालिका परिषद का चुनाव प्रचार भी करते हैं। कुछ ऐसा ही मामला देखने सुनने को मिला सूरजपुर जिला अस्पताल मे। जिले के कथाकथित भू माफिया कैलाश अग्रवाल जो कि थाना झिलमिली मे धारा 420,467,468,471,120,बी 34 आईपीसी के अपराध दर्ज किया गया था जिनको सूरजपुर के भैयाथान मे हुये बहुचर्चित फर्जी जमीन घोटाले के तीन आरोपियो के अग्रिम जामानत अर्जी उच्च न्यायलय ने खारिज होने पर प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये हाईकोट ने तीनो आरोपियो को 15 दिनो के अंदर स्थानिय न्यायलय मे सरेन्ड करने का आदेष दिया था जिस पर आरोपियो ने न्यायलय मे सरेन्डर जमानत की अर्जी लगाई थी जिसे न्यायलय नेे जमानत अर्जी खारिज करते हुये जेल भेज दिया है।

दिनांक 20 दिसंबर 2019 को सूरजपुर उपजेल से आरोपित रसुकदार अपराधी कैलाश अग्रवाल जिला अस्पताल मे मौज काट रहा था इस दौरान सेटिंग के दम पर वह नगर पालिका परिषद का चुनाव का अपने गुट के उम्मीदवार का प्रचार प्रचार करने की सुचना है यही नही बकायदा अस्पताल मे होटल घर के लजीज खाना खाने को मिलते रहे। 9 दिन के उपजेल से बाहर अपराधी रात होते जिला अस्पताल से घर पहुचकर सारी सुख सुविधाओ का भोग करता रहा। जिसकी शिकायत प्रार्थी नीरज अग्रवाल ने जिला कलेक्टर सहित पुलिस अधिक्षक से भी किया था। सारी व्यव्स्थाओ को नजरअंदाज कर एक बार पुन फिर से कथाकथित अपराधी जिला अस्पताल के कैदी वार्ड से भर्ती है जहा पर सारी सुख सुविधा उपलब्ध किया जा रहा है साथ ही परिवार के सेवक सेवा भाव मे कोई कमी नही करते और मौका मिलते ही कैदी वार्ड से निकलकर घर पहुच जाता है जिसकी नगर मे चर्चा व्याप्त है।

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