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दिनेश साहू

सूरजपुर : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 आर0एस0 सिंह ने जिले में बर्ड फ्लू के खतरें को लेकर जनसामान्य को सतर्क रहने के लिए कहा है। साथ ही बताया गया है कि एवियन एन्लूएंजा (एच5 एन1) वायरस बर्ड फ्लू के नाम से पापुलर है। इस खतरनाक वायरस का संक्रमण इंसानों और पक्षियों को अधिक प्रभावित करता है। बर्ड फ्लू का इंफेक्षन चिकन, टर्की, गीस और बतख की प्रजाति जैसे पक्षियों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इससे इंसान और पक्षियों की मौत तक हो सकती है। जिला सर्वेेलेंस अधिकारी डाॅ0 राजेश पैकरा ने बर्ड फ्लू के कारण एवं लक्षण संबंधी जानकारी दी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ0 आर0एस0 सिंह ने बताया कि बर्ड फ्लू से इंसान को बुखार, हमेशा कफ रहना, नाक बहना, सिर में दर्द रहना, गले में सूजन, मांसपेशियों में दर्द, दस्त होना, हर वक्त उल्टी सा महसूस होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना, सांस लेने में समस्या, सांस ना आना, निमोनिया, आंख में कंजंक्टिवाइटिस होने लगता है। साथ ही बीमारी की जटिलता को लेकर बताया गया कि आंखों का संक्रमण, सांस लेने मेें काफी दिक्कत, निमोनिया, मस्तिष्क और हद्य में सूजन रहता हैं

एवियन एन्लूएंजा (एच5 एन1) का संक्रमण मनुष्यों में संक्रमित प्रवासी पक्षियों तथा पोल्ट्री पक्षियों के संक्रमण के माध्यम से फैलता है। पोल्ट्री फार्म के कर्मी, पक्षी व अंडे बेचने वाले, पक्षी व अंडों के बाजार में रहने वालों में बर्ड फ्लू का जोखिम ज्यादा होता है। ऐसे लोगों में एक मनुष्य से दूसरे तक फैलाव की संभावना भी होती हे। पक्षियों (विषेषकर पोल्ट्री) का (एच5 एन1) के संक्रमण से मनुष्यों में संक्रामक रोग के फैलाव की संभावना होती है। पक्षियों में संक्रमण से प्रभावित राज्यों से संक्रमित पक्षियों के आने-जाने से पड़ोसी राज्यों में पोल्ट्री पक्षियों में संक्रमण फैलाव हो सकता है। पालतू अथवा गैर पालतू पक्षियों में एवियन एन्लूएंजा के संक्रमण के फैलाव से यह संक्रमण मनुष्यों में फैलने का खतरा उत्पन्न हो सकता है। उचित संक्रमण रोधी उपायों को पालन करते हुए मृत संक्रमित पक्षियों का निपटारा करने से मनुष्यों में संक्रमण फैलाव के खतरे को कम किया जा सकता हैं एनियन इन्लूएंजा के मनुष्यों  में संक्रमण की स्थिति में उच्च प्रकरण मृत्यु दर 60 प्रतिशत तक हो सकता हैं।

कैसे पहुंचता है इंसानों तक यह वायरसः-

यह बीमारी संक्रमति मुर्गियों या अन्य पक्षियों के बेहद निकट रहने से ही फैलती हैं। यानि मुर्गी की अलग-अलग प्रजातियों से डायरेक्ट या इन्डायरेक्ट काॅन्टेक्ट में रहने से इंसानों में बर्ड फ्लू वायरस फैलता है। फिर चाहे मुर्गी जिंदा हो या मृत्य हुई हो। इंसानों में यह वायरस उनकी आंखों, मंुह और नाक के जरिए फैलता है। इसके अलावा इंफेक्टिड बड्र्स की सफाई या उन्हें नोंचने से भी इंफेक्षन फैलता है।

बर्ड फ्लू से बचावः-

मरे हुए पक्षियों से दूर रहें, यदि आस-पास किसी पक्षी की मौत हो जाती है तो इसकी सूचना संबंधित विभाग को दें। बर्ड फ्लू वाले एरिया में नाॅनवेज ना खाएं, जहाॅं से नाॅनवेज खरीदें वहाॅं सफाई का पूरा ध्यान रखें। कोशिश करें कि मास्क पहनकर बाहर निकलें। पक्षियों की मृत्यु वाले क्षेत्र में किसी व्यक्ति को सर्दी, खांसी बुखार की शिकायत हो तो तत्काल निकट के चिकित्सक से संपर्क कर उपचार प्राप्त करें। पक्षियों के पंख, लार, तथा अपशिष्ट पदार्थों को न छुएं। पक्षियों की देखाभाल करते समय हमेशा नाक व मुंह को माॅस्क या घने कपड़े से ढंक कर रखें। गर्भवती महिलाएं और बच्चे जानवरों और पक्षियों के संपर्क में आने से बचें। रोग से मृत पक्षियों को न खाएं। कच्चा या अधपका मांस न खाएं। मांस को 30 मिनट से ज्यादा समय तक 70 डिग्री सेंटीग्रेड पर पकाने के बाद ही खाएं। पोल्ट्री पक्षियों या उनके उत्पादों के संपर्क में आने वालों को बार-बार अपने हाथ साबुन और पानी से धोना चाहिए। पालतू या गैर पालतू पक्षियों में अचानक मृत्यु की जानकारी मिलें तो तत्काल इसकी सूचना निकट के पशु चिकित्सा अधिकारी को दें। मृत पक्षियों को हाथ न लगाएं तथा समुचित निष्पादन किया जाए।

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